*नजर आया ईद-उल-फितर का चांद,देश भर में कल मनाई जाएगी ईद*
*इमरान देशभक्त*
ईद का अर्थ है जश्न मनाना।इस्लाम धर्म में साल में दो बार ईद मनाई जाती है।पहली मीठी ईद,जिसे ईद-उल-फितर कहा जाता है और दूसरी ईद-उल-अजहा।ईद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्यौहार है।हिंदी में ईद का अर्थ त्यौहार या पर्व होता है।मुसलमानों के लिए यह एक ऐसा दिन जब वह खुशियां मनाते हैं,दावत का लुफ्त उठाते हैं,नए कपड़े पहनते हैं और ईदगाह जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं,सिर्फ मुसलमान ही नहीं सभी धर्मों के लोग ईद के जश्न में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।ईद का दिन चांद तय करता है।रमजान की आखिरी रात का चांद ही बताता है कि अगले दिन ईद होगी या नहीं।इस बार भारत में कल यानी 3 मई को ईद मनाई जाएगी,जानिए कि आखिर ईद क्या होती है और क्यों मनाई जाती है।रमजान के महीने में 30 दिन के रोजे रखने के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं।इसे मीठी ईद भी कहा जाता है,वहीं ईद-उल-अजहा जो कुर्बानी का त्यौहार है वह ईद व रमजान के खत्म होने के 70 दिन बाद मनाया जाती है।ऐसी मान्यता है कि आखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी।इसी खुशी में ईद-उल-फितर मनाई जाती है।माना जाता है कि पहली बार ईद-उल-फितर 624-ईसवीं में मनाई गई थी।इस दिन मीठे पकवान बनाएं और खाए जाते हैं।अपनों से छोटों को ही ईदी दी जाती है।दान देकर अल्लाह को याद किया जाता है।इस दान को इस्लाम में फितरा कहते हैं,इसलिए भी इस ईद को ईद-उल-फितर कहा जाता है।इस ईद में सभी आपस में गले मिलकर अल्लाह से सुख-शांति और बरकत की दुआएं मांगते हैं।
*रमजान में ना मिल सके,ईद में नजरें मिला लो।हाथ मिलाने से क्या होगा,सीधे गले ही लगा लो।*