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कल 3 मई 2022 दिन मंगलवार अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा।

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है।धार्मिक मान्यता अनुसार अक्षय तृतीया के दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं, इस दिन किए गए कार्यों से अक्षयों फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है।इस अक्षत किया आपको कुछ विशेष शुभ योग देखने को मिलेंगे।

 रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग से मंगल रोहिणी योग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, शनि अपनी स्वराशि कुंभ में और बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में विराजमान होंगे। मंगलवार को तृतीया तिथि होने से सर्वसिद्धि योग बन रहा है।

शुभ मुहूर्त:

अक्षय तृतीया पर पूजा का मुहूर्त शुक्रवार, 3 मई 2022 प्रातः 5 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।

तृतीया तिथि प्रारम्भ- 3 मई 2021 सुबह 5 बजकर 38 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्त: 4 मई प्रातः 7 बजकर 59 मिनट तक।

*पूजा विधि*

  घर में ही गंगा का स्मरण कर स्नान करें, तो गंगा स्नान का हमें पूण्य लाभ मिलेगा। बस इस श्‍लोक का उच्चारण कर स्नान करें..

*गंगेच यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।*

*नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधि कुरु।।*

इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की मूर्ति को शुद्ध जल से स्नान कराएं रोली, कुमकुम अक्षत, पंचमेवा पंच मिठाई सफेद फूल अर्पित करें भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी के मंत्रों (ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः) का जाप करें। घी का दीपक जलाकर आरती करें।

अक्षय तृतीया का पर्व बेहद शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है। 

अक्षय तृतीया के दिन गौदान का संकल्प करें और जब संभव हो, तब गौदान करें। अक्षय तृतीया के अवसर पर वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है अन्न, वस्त्र, गाय को भोजन कराएं, जौ, तिल, भेंट व पित्रों की पसंदीदा वस्तुओं का दान कर सकते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन को अत्यंत शुभ मानने को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं इस दिन के महत्व को और ज्यादा बढ़ा देती हैं। यहां हम अक्षय तृतीया से जुड़ी 5 कथाओं के बारे में जानेंगे-

*भगवान परशुराम जन्मदिवस :*

भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को ही हुआ था। इसलिए इस दिन को परशुराम जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। परशुराम महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के पुत्र थे। उन्होंने अपने पराक्रम के बल से 21 बार पृथ्वी को छत्रिय विहीन कर पृथ्वी को ब्राह्मणों को दान कर दी थी। यही वजह है कि अक्षय तृतीया के शुभ दिन भगवान विष्‍णु की उपासना के साथ परशुराम जी की भी पूजा की जाती है।

*ब्रह्मर्षि परशुराम के सामर्थ्य के लिए निम्नलिखित श्लोक रचा गया है:-*

*अग्रतः चतुरो वेदाः, पृष्ठतः सशरः धनुः।*

*इदं ब्राह्मः, इदं क्षात्रः, शास्त्रादपि शरादपि।।*

अर्थात् परशुराम जी के समक्ष चारो वेदों का ज्ञान, पीठ पर वाणों से भरा तरकश विद्यमान था| ब्राह्म और क्षात्र गुण सम्पन्न यह ऋषि शास्त्र से या शस्त्र से हर हालत में विजय पाने में समर्थ थे| इन्होने स्वयं भगवान शंकर से शस्त्र की शिक्षा ली थी और शंकर ने उन्हें अपना एक धनुष उनकी वीरता से प्रसन्न होकर दिया था जिस पर बाण चढ़ाने वाले सिर्फ विष्णु या उनके अवतार ही हो सकते थे। इन्हीं गुणों के कारण इन्हें ब्रह्म क्षत्रिय भी कहते हैं।

*देवी अन्नपूर्णा जयंती:*

मान्यता है कि भंडार और रसोई की देवी माता अन्नपूर्णा का जन्म भी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। अक्षय तृतीया को मां अन्नपूर्णा की भी पूजा की जाती है। मां अन्नपूर्णा के प्रसन्न हो जाने पर कभी भी अन्न के भंडार खाली नहीं रहते। यानी संपन्ना और खुशहाली रहती है।

*सुदामा की कृष्ण से मुलाकात :*

   भगवान कृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा की कहानी तो जग में विख्यात है। कहा जाता है कि गरीब ब्राह्यमण सुदामा अक्षय तृतीया के दिन भगवान कृष्ण से मुलाकात करने गए थे। भगवान को सुदामा उपहार में सूखे चावल भेंट किए थे जिसके बदले भगवान कृष्ण ने उन्हें दो लोकों का स्वामी बना दिया था। मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु को चावल चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

*द्रौपदी का अक्षय पात्र:*

पौराणिक कथाओं में जिक्र मिलता है कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी को भगवान विष्णु की उपासना करने पर आज के दिन ही अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी। इस अक्षय पात्र का भोजन कभी घटता नहीं था।

*गंगा का पृथ्वी पर अवतरण-*

अक्षय तृतीया से पांचवी कथा है महाराज भगीरथ से प्रसन्न होकर मां गंगा की पृथ्वी पर अवतरण की। कहा जाता है कि हजारों की साल की तपस्या के बाद अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा पृथ्वी पर आई थीं। महाराज भगीरथ भगवान राम और उनके पिता राजा दशरथ के पूर्वज थे।

अक्षय तृतीया का दिन विवाह, वाहन खरीदने और सोना आदि खरीदने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु का विवाह इसी दिन हुआ था। यानी अक्षय तृतीया के दिन विवाह करने वाले दंपति माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की जोड़ी की तहर पूरे जीवन पर सुखी और प्रसन्न रहते हैं। अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है। 

मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले दान का फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ मिलता है। अक्षय तृतीया पर दान करने वाले व्यक्ति को वैकुंठ धाम में जगह मिलती है, इसलिए इसे दान का महापर्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान करके जों एवं

गौ का दान अवश्य करना चाहिए, इससे मनुष्य के सभी पापा नाश हो जाते हैं। अक्षय तृतीया पर कलश का दान व पूजन अक्षय फल प्रदान करता है। इस जल से भरे कलश को मंदिर या किसी जरूरतमंद को दान करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पितरों को भी अक्षय तृप्ति होती है और नवग्रह की शांति होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन श्रीरामचरित मानस का पाठ करना चाहिए। साथ ही आपको भगवान विष्णु के दसावतार की कथा का पाठ करना चाहिए। इनका पाठ करने पर आपको ऋषियों और महान संतों के दर्शन का फल मिलता है।

अक्षय तृतीया पर तुलसी की जड़ को दूध से सींचे। भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी पत्र के बिना अधूरी मानी जाती है। ऐसा करने पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पौराणिक कथायें ग्रुप एवं श्री गौरी गिरधर गौशाला की और से आप सभी को अक्षय तृतीया की बहुत बहुत बधाई। धन की देवी लक्ष्मी तथा भगवान विष्णु की आप और आप के परिवार पर कृपा बनी रहें। माता अन्नपूर्णा आपका घर धन धान्य से परिपूर्ण रखे।

समर्थ भारत न्यूज़
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