अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है. अहोई पर महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. इस व्रत को करने के कुछ खास नियम और कायदे होते हैं. व्रत निर्जला रखा जाता है और रात को तारे निकलने के बाद अर्घ्य देकर इसका पारण किया जाता है. आइए आपको अहोई व्रत का महत्व, नियम और तारे निकलने का समय बताते हैं.अहोई पर महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. इस व्रत को करने के कुछ खास नियम और कायदे होते हैं. व्रत निर्जला रखा जाता है और रात को तारे निकलने के बाद अर्घ्य देकर इसका पारण किया जाता है.
नियम और सावधानियां अहोई माता के व्रत में बिना स्नान किए पूजा-अर्चना ना करें. इस दिन महिलाओं को मिट्टी से जुड़े कार्य करने से बचना चाहिए. इस दिन काले, नीले या गहरे रंग के कपड़े बिल्कुल न पहनें. व्रत विधान के अनुसार, किसी भी जीव-जंतु को चोट ना पहुंचाएं और ना ही हरे-भरे वृक्षों को तोड़ें. अहोई के व्रत में पहले इस्तेमाल हुई पूजा सामग्री का दोबारा इस्तेमाल न करें.
व्रत की पूजन विधि अहोई अष्टमी के दिन दोपहर के समय हाथ में गेंहू के सात दाने और कुछ दक्षिणा लेकर अहोई की कथा सुनें. फिर अहोई माता की आकृति गेरूआ या लाल रंग से दीवार पर बनाएं. सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर माता के चित्र के सामने जल से भरा कलश, दूध-भात, हलवा, पुष्प और दीप प्रज्वलित करें. पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें. उन्हें दूध भात अर्पित करें. फिर हाथ जोड़कर माता से अपनी संतान की दीर्घायु और मंगलकामना की प्रार्थना करें. अब चन्द्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें.
अहोई अष्टमी पर शुभ मुहूर्त अहोई अष्टमी पर आज सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. इसके बाद शाम 5 बजकर 50 मिनट से लेकर 07 बजकर 05 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. पूजा करने या कथा सुनने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं.
अहोई पर तारे निकलने का समय इस साल अहोई अष्टमी सोमवार, 17 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 29 मिनट से लेकर मंगलवार, 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगी. अहोई अष्टमी पर तारे देखकर अर्घ्य देने का विधान है. तभी ये व्रत संपन्न माना जाता है. ज्योतिषियों का कहना है कि अहोई अष्टमी पर आज शाम 06 बजकर 13 मिनट पर तारे निकलेंगे.