रुड़की।चांद नजर आते ही रहमतों की बरसात का महीना “रमजान” का कल से पहला रोजा होगा।एक महीने का रमजान वास्तव में प्रशिक्षण कार्यक्रम है,जिसमें रोजेदार सुबह से शाम तक ना केवल भूखा-प्यासा रहता है,बल्कि गाली-गलौज,गंदी बातों और गलत कामों से भी दूर रहता है।प्यास लगने पर भी पानी इसलिए नहीं पीता है कि कोई भले ना देख रहा हो,लेकिन उसका अल्लाह उसे जरूर देख रहा है।बुराइयों और गलत कामों से रुकने के कारण ही अल्लाह के रसूल मोहम्मद सल्ल. वसल्लम ने फरमाया कि रोजेदार के लिए दो खुशियां हैं,एक रोजा इफ्तार के वक्त दूसरा जब वह मैदान हस्र में अपने अल्लाह से मिलेगा।इसी महीने में कुरान शरीफ अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्ल. वसल्लम पर अवतरित (नाजिल) हुआ।हदीस में है कि इसकी एक रात हजार महीनों की इबादत से बेहतर है और इसका सवाब (पुण्य) कई सौ गुना अधिक है।रमजान की पांच रातें 21,23,25,27 और 29 है,जिसमें इबादत करने पर बहुत जोर दिया गया है,वैसे तो पूरा रमजान ही रहमत और बरकतों का महीना है,लेकिन इन रातों का अपना अलग ही महत्व है।इन पांच रातों में कोई एक रात सबे कदर होती है,जिसमें कुरान शरीफ अवतरित हुआ,इसलिए इस रात को तलाश करने अर्थात इबादत करने पर अत्यधिक जोर दिया गया है।सऊदी अरब सहित खाड़ी देशों में पवित्र रमजान का चांद कल नजर आने से आज वहां शनिवार का पहला रोजा है और शुक्रवार की रात्रि तरावीह की नमाज शुरु हो गई,जबकि भारत में पहला रोजा रविवार का होगा।रमजान के महीने का बेसब्री से इंतजार कर रहे मुसलमानों के लिए यह महीना बहुत ही पाकीजा और पवित्र माना गया है।बता दें कि सऊदी अरब में भारत के मुकाबले एक दिन पहले चांद दिखाई देता है,जिस हिसाब से यहां पहला रोजा कल यानी इतवार का होगा।रमजान के पहले दस दिन रहमत के हैं तो दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) मांगने और अंतिम दस दिन दोजख से निजात पाने अर्थात अल्लाह को राजी करने का है,इसलिए अंतिम भाग की महत्ता बहुत ही अधिक बताई गई है।रमजान का चांद नजर आने पर शहर मुफ्ती मोहम्मद सलीम साहब,विधायक हाजी फुरकान अहमद,अफजल मंगलौरी,डॉक्टर नैयर काजमी, हाजी नौशाद अहमद,हाजी महबूब कुरैशी,हाजी लुकमान अहमद,मौलाना अरशद कासमी, मौलाना अजहर उल हक,डॉ मोहम्मद मतीन,हाजी मोहम्मद सलीम खान,मौलाना नसीम अहमद कासमी व हाजी शमीम साबरी आदि ने रमजान की मुबारकबाद पेश की है।