रुड़की अगस्त 2022/जादू तकनीकी दृष्टि से विज्ञान है और इसको प्रस्तुत करने की दृष्टि से कला है दर्शकों के लिए यह मनोरंजन तथा कोतुहल एवं रोमांच भरा खेल है इसका प्रदर्शन कलात्मक रूप से करने पर यह लोकप्रिय होता है इसके मर्म को जानने के लिए विज्ञान मदद करता है और जोर से आत्मा से जुड़ जाता है वह दुनिया को नई से नई खोज एवं कोतुहल बना देता है उक्त उद्गार पूर्व प्राचार्य डॉक्टर मथुरा का सक्सेना ने जादूगर शिवम के साईं कालीन शो का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर मथुरा का सक्सेना ने संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन कला को बचाए जाने की आवश्यकता है शिव की वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मनोरंजन ओं के चलते जादू जैसी प्राचीन विधा समाप्ति के कगार पर है उन्होंने कहा कि स्वस्थ मनोरंजन के लिए जादू जैसी कला को ललित कला के रूप में मानकर उसको युवा पीढ़ी को परिचित कराना आवश्यक है,
इस मौके पर वरिष्ठ रेडियोलॉजिस्ट डॉ अजय कुमार एवं पूर्व फार्मेसी अधिकारी मैनेजर वर्मा ने कहा कि 64 कलाओं में से सबसे पवित्र कला मानी गई है परंतु हैरानी की बात है कि वर्तमान समय में यह ललित कला समाप्त होने के कगार पर है उन्होंने जादूगर शिवम बधाई देते हुए कहा कि वह है अपने जादू के शो में बच्चों के पारा वृक्ष स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ इस कला को बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं और साथ ही जल बचाओ भ्रूण हत्या पाप है जैसे संदेशों को देकर जनमानस को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं इस मौके पर डॉ नीति श्रीवास्तव शशि कुमार सैनी पवन शर्मा आदि उपस्थित थे
कार्यक्रम से पूर्व डॉक्टर मधुरा का सक्सेना डॉ अजय कुमार डॉ निधि श्रीवास्तव ने जादूगर स्वयं को स्मृति चिन्ह तथा शाल ओढ़ाकर उनका नागरिक अभिनंदन भी किया और उनको सफल सो के लिए बधाई दी