उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति तेजी से कार्य कर रही है।
उम्मीद है कि छह महीने के तय समय के भीतर वह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। इसके बाद सभी पक्षों से विचार-विमर्श करके समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ा जाएगा।
नई दिल्ली में मंगलवार को ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में धामी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 राज्यों को समान नागरिक संहिता लागू करने का अधिकार देता है। उत्तराखंड ने इसी आधार पर पहल की है, अन्य राज्यों को भी इसे लागू करने के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सीमाएं दो देशों चीन और नेपाल के साथ लगती है। राज्य एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र भी है। चुनाव से पूर्व भाजपा ने वादा किया था इसलिए नई सरकार के गठन के साथ ही सबसे पहले समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए समिति गठित की गई। जस्टिस देसाई की अध्यक्षता में समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं। मैने खुद भी समिति के साथ बैठक की है। समिति सभी पक्षों से इस मुद्दे पर बात करेगी। बाद में वेबसाइट या जनसंवाद के जरिये लोगों की भी राय ली जाएगी। समिति को छह महीने का समय दिया गया है। उम्मीद है कि तय समय के भीतर वह यह कार्य पूरा करेगी लेकिन यह ऐसा विषय है जिस पर व्यापक विमर्श की जरूरत है इसलिए जरूरत पड़ी तो सरकार समिति को भरपूर समय देगी।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता पर कार्य करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। इसे लागू करने वाला भी पहला राज्य बनेगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद कई अहम बदलाव होंगे। अदालतों में 20 फीसदी मुकदमे प्रत्यक्ष रूप से कम हो जाएंगे।
धामी ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के चहुमुखी विकास के लिए कार्य कर रही है। नए उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन बैंक तैयार एकल खिड़की योजना शुरू की गई है। पर्यटन, ऊर्जा, बागवानी, जैविक खेती जैसे परंपरागत क्षेत्रों में निवेश के अलावा रिन्यूबल ऊर्जा, एयरोस्पेस एवं डिफेंस, इलेक्ट्रिक वाहन, जैव प्रौद्यौगिकी आदि क्षेत्रों में नए निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियों को सरल बनाया गया है। चारधाम मार्ग के पूरी तरह से तैयार होने के बाद धार्मिक पर्यटन में इजाफा होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार का सर्वाधिक फोकस राजस्व सृजन को लेकर है। राज्य को मिलने वाली पांच हजार करोड़ रुपये की जीएसटी क्षतिपूर्ति खत्म हो चुकी है जिसकी भरपाई के लिए नए क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रीत किया जा रहा है। राज्य का सकल राजस्व करीब 20 हजार करोड़ है जो जरूरत से काफी कम है। इसे तत्काल बढ़ाने की चुनौती हमारे सामने है।