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प्रशासन की पूरी फौज कांवड़ पटरी पर है और कांवड़ यात्रियों को दिल्ली हरिद्वार का बाईपास भा रहा है।

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सुविधाओं के नाम पर बाईपास पर प्रशासन ने एक बल्ब तक नहीं लगाया है।कोरोना संक्रमण काल के चलते दो साल तक कांवड़ यात्रा नहीं चल पाई। इसी बीच दिल्ली हरिद्वार राजमार्ग का बाईपास तैयार कर दिया गया। प्रशासन ने बाईपास को नजरअंदाज करते हुए परंपरागत ढंग से ही कांवड़ यात्रा की तैयारियां की पूरा प्रशासनिक अमला कांवड़ पटरी पर ही अपनी ताकत को झोंके हुए हैं।लेकिन कांवड़ यात्रियों को हरिद्वार का बाईपास ही भा रहा है। वैसे तो कां वड़ यात्रा के शुभारंभ से ही कांवड़ यात्री बाईपास से जाने लगे थे, लेकिन प्रशासन उनको कांवड़ पटरी से भेज रहा था। अभी स्थिति यह है कि रुड़की में आने वाला पुराना हाईवे बंद पड़ा हुआ है।यहां पर इक्का-दुक्का कांवड़ यात्री ही आ रहा है, जबकि कांवड़ पटरी पर भी कावड़ यात्रियों की संख्या कम हो गई है। वहीं बाईपास पर कांवड़ यात्रियों का रेला उमड़ पड़ा है। बाईपास पर दो लाइन में कांवड़ यात्री और उनके वाहन चल रहे हैं, जबकि एक साइड से स्थानीय वाहनों का संचालन किया जा रहा है।प्रशासन की ओर से यहां पर किसी तरह के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। ना तो पानी की व्यवस्था है और न ही पूरे रास्ते में लाइट आदि की व्यवस्था की गई है। शौचालय आदि भी नहीं बनाए गए हैं, जिसकी वजह से कांवड़ यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

कांवड़ शिविरों में भी पसरा सन्नाटा

तमाम सामाजिक संगठनों की ओर से कांवड़ यात्रियों की सेवा के लिए कांवड़ सेवा शिविर लगाए गए हैं, लेकिन शहर में लगने वाले इन कांवड़ सेवा शिविर में भी अब सन्नाटा पकड़ने लगा है। बेहद कम संख्या में कांवड़ यात्री पहुंच रहे हैं , जबकि बाईपास पर किसी भी संगठन की ओर से अभी तक कांवड़ सेवा शिविर नहीं लगाया गया है।

रात को उमड़ रही ग्रामीणों की भीड़

पहली बार बाईपास पर कांवड़ यात्रियों को देखकर बाईपास के आसपास के गांव के लोग बेहद उत्साहित है। नगला इमरती, ढंडेरा बिझोली, लंढौरा, पीरपुरा, समेत दर्जनभर गांवों के लोग शाम होते ही यहां जुट जाते हैं। देर रात तक ग्रामीणों की भीड़ लगी रहती है।

समर्थ भारत न्यूज़
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