रुड़की।माहे रमजान की बरकत और पवित्रता से हम उसी समय लाभ उठा सकते हैं जब हम अपने बहुमूल्य समय का सही प्रयोग करें।माफी वाले महीने में सही से अल्लाह ताला की इबादत करें,जिस तरह से प्यारे रसूल पैगंबर हजरत मोहम्मद ने अल्लाह ताला की इबादत की। वह इबादत करेंगे जिसके करने से हमें पूण्य प्राप्त हो और हमारी झोली पुण्य से भर जाए।हमारा दामन पापों से पाक हो जाए और उन कामों से दूर रहा जाए जो इस पवित्र महीने की बरकत तथा अल्लाह की कृपया (माफी) से हमें मैहरूम (वंचित) कर दे। रमजान महीने की सबसे महत्वपूर्ण इबादत रोजा है,जिसे उसकी वास्तविक हालत में रखा जाए और उन कामों तथा कार्यों से दूर रहा जाए जो रोजे को खराब करते हैं।रोजे रखने के लिए सबसे पहले रात से ही या सुबह सादिक से पहले ही रोजा रखने की नियत की जाए,इसलिए कि जो व्यक्ति रात में ही रोजे की नियत करेगा उसका रोजा पूर्ण होगा।पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का कथन है कि जो व्यक्ति रात से ही रोजे की नियत ना करें उसका रोजा नहीं।हाजी नौशाद अहमद,शेख अहमद जमां, एडवोकेट जावेद अख्तर,प्यारे मियां,फकरे आलम खान,हाजी लुकमान कुरैशी,परवेज नासिर और डॉ.जीशान अली का कहना है कि इस पवित्र महीने में गरीबों और मुश्किनों की दिल खोलकर सहायता की जानी चाहिए।सबसे अच्छा दान रमजान में दान देना है।इस महीने में सदका-खैरात करना बड़ा पुण्य का काम है।भूखे को खाना खिलाना बहुत ही बड़ा पुण्य है और जिसने किसी भूखे को खिलाया व पिलाया अल्लाह उसे जन्नत के फल खिलाएगा।