3 अप्रैल को देश भर में महान योद्धा और शासक छत्रपति शिवाजी की पुण्यतिथि मनाई जाती है. 1680 में बीमारी की वजह से देश के महान योद्धा का निधन हुआ था.भारत के वीर योद्धाओं की कड़ी में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सबसे सम्मान से लिए जाने वाले नामों में से एक है. आज देश भर में उनकी 342वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. आज ही के दिन 1680 में बीमारी की वजह से छत्रपति शिवाजी की मृत्यु अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में हो गई थी. इस महान शासक के युद्ध कौशल और जीवन से लोग आज भी प्रेरणा लेते हैं.
भारतीय नौसेना के जनक भी कहे जाते हैं
19 फरवरी साल 1630 में जन्में वीर शिवाजी महाराज की गौरव गाथा आज भी लोगों को सुनाई जाती है. इतिहास के पन्नों पर वीर छत्रपति शिवाजी का नाम सुनहरे अक्षरों से लिखा गया है शिवाजी महाराज उन चुनिंदा शासकों में आते हैं जिनके पास पेशेवर सेना थी. वो अपने सैनिकों के साथ जमकर युद्धाभ्यास किया करते थे. उन्होंने सशक्त नौसेना भी तैयार कर रखी थी. भारतीय नौसेना का उन्हें जनक कहा जाता है.
तुलजा भवानी के उपासक
छत्रपति शिवाजी के बारे में सब जानते हैं कि वह तुलजा भवानी के उपासक थे. महाराष्ट्र में उनके बारे में कहा जाता है कि माता भवानी ने उन्हें खुद दर्शन दिया था और उपहार में एक तलवार भी भेंट की थी. इस किवंदती के पीछे शिवाजी की वीरता और युद्ध कौशल से जुड़ी मान्यताएं हैं.
महिलाओं के सम्मान के लिए रहे अडिग
शिवाजी उन चुनिंदा शासकों में से थे जिन्होंने युद्ध हो या आम जीवन हमेशा महिलाओं का बहुत सम्मान किया था. उस दौर के लिहाज से वह एक क्रांतिकारी विचारों के योद्धा थे. शिवाजी ने खुद स्वीकार किया था कि उनमें जन्मजात वीरता का गुण उन्हें अपनी मां जीजाबाई से मिला है.