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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उत्तराखंड में आयुष चिकित्सकों के लिए सरकार जल्द लागू करे समान कार्य समान वेतन: डॉ० डी० सी० पसबोला*

देहरादून, उत्तराखंड: आयुष प्रदेश में उत्तराखंड की नयी सरकार को आयुष चिकित्सकों के प्रति भेदभावपूर्ण नीति एवं हेय दृष्टिकोण के कारण बडा़ झटका लगा है। जहां सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राज्य सरकार द्वारा दायर एक एसएलपी को खारिज़ कर दिया गया है, साथ ही आदेश दिया है कि एलोपैथिक चिकित्सकों के समान ही आयुष चिकित्सकों को भी वेतन दिया जाए। प्रदेश सरकार द्वारा इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(RBSK) में नियुक्त लगभग 300 आयुष चिकित्सकों को लाभ मिलेगा।

राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड पंजीकृत के प्रदेश मीडिया प्रभारी *डॉ० डी० सी० पसबोला* ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ऐतिहासिक तो है ही साथ ही देश के सभी आयुष चिकित्सकों के लिए एक नजीर का काम भी करेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश के आयुष चिकित्सकों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

 

 

आगे *डॉ० पसबोला* ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने आयुष चिकित्सकों के लिए एलोपैथिक चिकित्सकों के समान ही वेतन देने के आदेश पारित कर दिए थे। लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज़ कर दिया है साथ ही आयुष चिकित्सकों को एलोपैथिक चिकित्सकों के समान वेतन देने के नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय को सही करार दिया है।

 

 

*डॉ० पसबोला* ने प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय को जल्द ही लागू करने की पुरजोर मांग की है। जिससे कि आयुष प्रदेश अविलंब ही आयुष चिकित्सकों को एलोपैथिक चिकित्सकों की तरह ही समान कार्य समान वेतन का लाभ मिल सके। क्यूंकि पैथी के आधार पर डॉक्टरों के बीच कोई भेदभाव करना संविधान के अनुच्छेद 14 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसलिए सरकार को विधि द्वारा स्थापित संविधान का सम्मान करते हुए एलोपैथिक चिकित्सकों की तरह आयुष चिकित्सकों को भी समान कार्य के आधार पर समान वेतन देना चाहिए।

 

 

संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष *डॉ० के० एस० नपलच्याल*, महासचिव *डॉ० हरदेव सिंह रावत*, प्रान्तीय उपाध्यक्ष *डॉ० अजय चमोला* ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए इस निर्णय की सराहना की है तथा साथ ही इस निर्णय को अभूतपूर्व बताया है। साथ ही उम्मीद जतायी है कि चुनाव पूर्व पिछली सरकार द्वारा कैबिनेट में पारित आयुष चिकित्सकों के डीएसीपी के प्रकरण पर भी नवनिर्वाचित सरकार जल्द ही कार्यवाही करेगी जिससे कि आयुष चिकित्सकों को एलोपैथिक चिकित्सकों के समान ही डीएसीपी का लाभ भी शीघ्र ही मिल सके।

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*डॉ० डी० सी० पसबोला*

*प्रदेश मीडिया प्रभारी,*

*राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ, उत्तराखंड*

*☎️: 9456113538*

समर्थ भारत न्यूज़
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