रुड़की।
मंगलौर में अभी 1 मार्च को करीब 30 से 40 पेड़ों को काटने का मामला जोरों पर चल ही रहा था कि शुक्रवार की देर रात लकड़ी माफियाओं ने फिर से करीब 100 से 150 आम के हरे पेड़ों को काटकट उन्हें ठिकाने लगा दिया। यह सब माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं इसलिए नहीं संभव हो पाया, इसके पीछे वन विभाग के रेंजर, अधीनस्थ कर्मी और उद्यान विभाग के अधिकारी/कर्मचारी तथा पुलिस की मिलीभगत है, जिसके चलते लकड़ी माफियाओं ने रातों-रात आम के करीब 100 से 150 पेड़ पर आरियां चलाकर उन्हें ठिकाने लगा दिया।
अब सवाल यह उठता है कि वन विभाग और उद्यान विभाग आखिर इन पेड़ों को परमिशन बंद होने के बावजूद क्यों कटवा रहा है। इस संबंध में कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं है? जब इस संबंध में रेंजर मयंक गर्ग से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला उद्यान विभाग का है, जबकि यह मामला उद्यान विभाग का न होकर वन विभाग का है, क्योंकि नगरपालिका क्षेत्र के अंतर्गत इन पेड़ों को काटा गया है, जो वन विभाग की निगरानी में आता है।
दिलचस्प बात यह है कि इस संबंध में विगत 1 मार्च को भी 30 से 40 पेड़ लकड़ी माफियाओं ने अधिकारियों की शह पर काट लिए थे, वही अब फिर से शुक्रवार की देर रात्रि विभागीय अधिकारियों की शह पर वन माफियाओं ने आम के हरे पेड़ों को साफ कर दिया। यहाँ यह कहावत भी चरितार्थ हो रही है कि जिन लोगों को आम के पेड़ों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, वही लोग लकड़ी माफियाओं से मिलकर आम के हरे पेड़ों को ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं। जब इस संबंध में डीएफओ हरिद्वार धर्म सिंह मीणा से वार्ता की गई, तो उन्होंने कहा कि यदि कोई शिकायत करेगा तो वह कार्रवाई करेंगे, जिसका सीधा- सीधा मतलब यह है कि उनके क्षेत्र में कोई कितना भी बड़ा अपराध कर ले, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि जब कोई शिकायत ही नहीं करेगा, तो वह कार्रवाई क्यों करेंगे। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि धर्म सिंह मीणा के कार्यकाल के दौरान आम के पेड़ों पर जहां-तहां माफियाओं से मिलकर खुलेआम आरियां चलाई जा रही है ओर उच्च अधिकारी आंख मूंदे बैठे है। वही इस संबंध में शिकायत कर्ताओं ने डीएम को भी शिकायत की है तथा कार्रवाई की मांग की है। वही उद्यान विभाग के अधिकारी अपना फोन बंद कर के बैठे हुए हैं ताकि कोई उन्हें परेशान ना कर सके। यह मामला क्षेत्र में चर्चा में बना हुआ है।