रुड़की: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में समिति पदाधिकारियों ने राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों का अभी तक चिह्नीकरण नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की,साथ ही आगे की रणनीति बनाई। इस दौरान एक सितंबर को खटीमा और दो सितंबर को मसूरी में बलिदानी आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया गया। साथ ही आंदोलनकारियों की मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन की बात भी कही गई।अशोक नगर स्थित नीमा देवी काला पब्लिक स्कूल में बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय अध्यक्ष हर्ष प्रकाश काला ने कहा कि जिलाधिकारी हरिद्वार की संस्तुति से आंदोलनकारियों की सूची चिह्नीकरण के लिए लंबित है, जो सरकार की ओर से शासनादेश होने पर चिह्नित होंगे। उन्होंने उन फर्जी आंदोलनकारियों को भी चेताया जो आंदोलनकारियों को गुमराह एवं भ्रमित कर रहे हैं। कहा कि यदि आंदोलनकारियों के साथ न्याय नहीं हुआ तो वे न्यायालय की भी शरण लेंगे। हरिद्वार से आए केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जोशी ने कहा कि कई फर्जी आंदोलनकारियों का भी चिह्नीकरण किया गया है। जबक, कई आंदोलनकारी ऐसे हैं, जिन्होंने राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। लेकिन, अभी तक उनका चिह्नीकरण नहीं हो सका है। ऋषिकेश से आए वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि आज सच्चे आंदोलनकारियों को पहचानने की आवश्यकता है। यदि हम भ्रामक प्रचार करने वालों को अपना नेता मानेंगे तो भटकते ही रहेंगे। इसलिए जिन्होंने सच्चाई से आंदोलन लड़ा, उनका साथ दें। इस दौरान सितंबर में ऋषिकेश में 13 जनपदों का सम्मेलन करने की घोषणा की गई। सभा का संचालन केंद्रीय महामंत्री प्रेम गोदियाल ने किया। सभा में रुड़की के अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश आदि क्षेत्रों से आंदोलनकारियों ने भाग लिया। बैठक में केंद्रीय कोषाध्यक्ष कमला बमोला, चौधरी भंवर सिंह वर्मा, थमन सिंह रावत, अनसुया प्रसाद चमोली, मधु बिष्ट, उमा रावत, दर्शना पालीवाल, मालदेव करासी, किशोरी ध्यानी, सरोज देवी, सुरेशी देवी, नंदा देवी, बसंती नेगी, चक्रधर देवरानी, जगदीश प्रसाद देवरानी, मोहन सिंह आदि आंदोलनकारी उपस्थित रहे।